बुधवार, 2 जुलाई 2014

मुझे याद रहेगी तुमसे वो मुलाकात ऑरकुट

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मुझे आज भी याद है
कोचिंग के आखिरी दिनों में
जब स्लैम बुक भरी जाती थीं
और मुंबई वाली दीदी से बतियाने बंटी
शहर के इकलौते कैफे में जाता था।

#-2-#

उसी ने तुम्हारा ज़िक्र किया कई बार
तो हम भी बिल्लू, राहुल और मोंटी
के साथ गए थे
तुमसे पहली मुलाकात को और
120₹ और 2 घंटे में
ऑरकुटिया के ही लौटे थे।

#-3-#

उसने क्लास में तो कभी
देखा भी न था ढंग से
पर
चैटिया के जो hiiiiii
कहा तो समोसे की पार्टी
दी थी सबको।

#-4-#

वो पतली पिन के नोकिया पर
तुम्हारा घंटों में खुलना,
फोटो स्टूडियो से cd बनवाकर
तुमपर अपलोड करना
गूगल से कॉपी कर स्क्रैप भेजना
ये सब चलता रहा और कॉलेज
के दिन गुज़रते रहे।

#-5-#

न जाने कहाँ से जेब के मोबाईल
में फेसबुक आगया।
तस्वीरें उसपर भी जाने लगीं।
फ़ोन के बटन कम होते रहे
और तुम्से फासले बढ़ते रहे


#-6-#


टैग और स्टेटस के नशे में
तुम्हारा अहसास ही
धुंधला सा गया।

आज तुम्हारे जाने की
खबर बस एक
मुक़द्दस खामोशी दे गई
है और कुछ नही

अलविदा orkut !

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