पिछली बार की मुमताज़ महल और ताज महल की बातों से निकल इस बार कुछ छुटपुट बातें करते हैं।
दुनिया के अलग अलग बादशाहों ने अपने दरबार में अलग अलग कायदे तय कर रक्खे थे इनमे से कुछ तो बहुत चर्चित हैं जैसे, किल्योपेत्रा का गधी के दूध से नहाना मगर कुछ कम चर्चित हैं।
सबसे पहले बात 'बलवन' की, सुलतान गयासुद्दीन बलवन की वैसे तो बलवन साहब अपने कई कामों की वजह से जाने जाते हैं मगर इनकी खास आदत थी अपने आप को ऊपर वाले का डायरेक्ट एजेंट समझने की और इस वजह से इनका ख़ास हुकुम था की कोई भी इनके सामने खड़ा नही हो सकता था और सिर्फ ज़मीन की तरफ ही देख सकता था। जैसे ही मियां बलवन किसी के सामने हाज़िर होते उसे सब काम छोड़ कर हुज़ूर के पैर चूमने पड़ते थे।भूल कर भी अगर किसी ने साहब के चेहरे की ओर देख लिया तो बलवन साहब खुश हो जाते थे। खुश बोले तो मोगाम्बो खुश हुआ वाला खुश, ना कि मन में लड्डू फूटा वाला खुश, समझे जनाब।
वैसे एक कहावत है *** चाटना, ये शायद इन्ही महानुभाव की दें हो क्या पता।
दुसरे साहब हैं मोहम्मद शाह उर्फ़ रंगीले बादशाह ये साहब मेल निम्फोमैनिअक कहे जासकते हैं। अगर आप को इस शब्द का अर्थ नही पता तो गूगल देवता की शरण में जाइये और साथ में एक जानकारी और कि हमारी मशहूर पेंटर अमृता शेरगिल भी इसी बीमारी का शिकार थीं।
खैर रंगीले साहब की एक ही आदत थी की वो दरबार में अचानक निर्वस्त्र हो कर नाचने और दौड़ने लगते थे और उनकी कई दासियों को भी उनका साथ कुछ ऐसे ही देना पड़ता था। विष अमृत का यह 18+ रूप पूरे महल में रोज चलता था और तब तक जब तक नादिरशाह ने दिल्ली पर हमला नही किया और 3 घंटे में 1 लाख लोगों की हत्या करवा दी।
ये मुहम्मद शाह की दें थी कि कोह-ए-नूर और दरया-ए-नूर जैसे हीरे, मयूर सिंहासन हिंदुस्तान से विदा हो गए और ऐसा होना लाज़मी ही था।
वैसे मुहम्मद शाह साहब के बारे में पढ़ कर यही लगता है कि आप और हम बिना बात के श्रीमती सनी लियोनी को दोष देते रहे हैं।
आज के लिए इतना ही जाइये गाना सुनिए बेबी डॉल वाला या फिर हो जा रंगीला रे भी सुन सकते हैं।
दुनिया के अलग अलग बादशाहों ने अपने दरबार में अलग अलग कायदे तय कर रक्खे थे इनमे से कुछ तो बहुत चर्चित हैं जैसे, किल्योपेत्रा का गधी के दूध से नहाना मगर कुछ कम चर्चित हैं।
सबसे पहले बात 'बलवन' की, सुलतान गयासुद्दीन बलवन की वैसे तो बलवन साहब अपने कई कामों की वजह से जाने जाते हैं मगर इनकी खास आदत थी अपने आप को ऊपर वाले का डायरेक्ट एजेंट समझने की और इस वजह से इनका ख़ास हुकुम था की कोई भी इनके सामने खड़ा नही हो सकता था और सिर्फ ज़मीन की तरफ ही देख सकता था। जैसे ही मियां बलवन किसी के सामने हाज़िर होते उसे सब काम छोड़ कर हुज़ूर के पैर चूमने पड़ते थे।भूल कर भी अगर किसी ने साहब के चेहरे की ओर देख लिया तो बलवन साहब खुश हो जाते थे। खुश बोले तो मोगाम्बो खुश हुआ वाला खुश, ना कि मन में लड्डू फूटा वाला खुश, समझे जनाब।
वैसे एक कहावत है *** चाटना, ये शायद इन्ही महानुभाव की दें हो क्या पता।
दुसरे साहब हैं मोहम्मद शाह उर्फ़ रंगीले बादशाह ये साहब मेल निम्फोमैनिअक कहे जासकते हैं। अगर आप को इस शब्द का अर्थ नही पता तो गूगल देवता की शरण में जाइये और साथ में एक जानकारी और कि हमारी मशहूर पेंटर अमृता शेरगिल भी इसी बीमारी का शिकार थीं।
खैर रंगीले साहब की एक ही आदत थी की वो दरबार में अचानक निर्वस्त्र हो कर नाचने और दौड़ने लगते थे और उनकी कई दासियों को भी उनका साथ कुछ ऐसे ही देना पड़ता था। विष अमृत का यह 18+ रूप पूरे महल में रोज चलता था और तब तक जब तक नादिरशाह ने दिल्ली पर हमला नही किया और 3 घंटे में 1 लाख लोगों की हत्या करवा दी।
ये मुहम्मद शाह की दें थी कि कोह-ए-नूर और दरया-ए-नूर जैसे हीरे, मयूर सिंहासन हिंदुस्तान से विदा हो गए और ऐसा होना लाज़मी ही था।
वैसे मुहम्मद शाह साहब के बारे में पढ़ कर यही लगता है कि आप और हम बिना बात के श्रीमती सनी लियोनी को दोष देते रहे हैं।
आज के लिए इतना ही जाइये गाना सुनिए बेबी डॉल वाला या फिर हो जा रंगीला रे भी सुन सकते हैं।