शुक्रवार, 21 नवंबर 2014

रिश्ते,फेसबुक से झांकती ज़िन्दगी की किताब

आज जिस किताब की बात मै यहाँ कर रहा हूँ वो बड़ी खास है।ख़ास इसलिए कि उसे मैंने और मेरे जैसे कई लोगो ने रोज़ सुबह परत दर परत बुने जाते देखा है। पिछले एक साल से संजय सिन्हा जी हर सुबह एक बड़ा सा(लम्बा नही) स्टेटस लिखते हैं और इस खूबी से लिखते हैं कि मै और मेरे जैसे लगभग 5,000 लोग सुबह की चाय के साथ अखबार की जगह फेसबुक का ये स्टेटस पढ़ते हैं। मिसेज़ शर्मा बच्चों और हस्बेंड का टिफिन पैक करती जाती हैं और बीच बीच में अपने स्मार्ट फ़ोन को देखती जाती हैं स्टेटस आया की नही, शुक्ला भाईसाहब को तो खुद चाय बनानी पड़ती है क्योंकि भाभी जी ने भी अब महंगा वाला फ़ोन ले लिया है। और संजय भाई अपने इस भरेपूरे परिवार की उम्मीदों को कंधे पर उठाये रोज न जाने कहाँ से किस्से निकाल लाते हैं और इन्ही 365 किस्सों में से कुछ चुने हुए किस्सों का संकलन है प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित किताब 'रिश्ते'

इस किताब को किसी एक खांचे में बांधना मुश्किल है। रिश्ते एक संस्मरण भी है तो एक दस्तावेज भी, jp के आंदोलन और 'इंदिरा हटाओ इंद्री बचाओ' जैसे नारों की बात करते करते ये आपको नॉस्टेलजिया में ले जाकर अचानक से आमिर खान की टैक्सी और केजरीवाल की दिल्ली के बीच ले आती है।"पूरी ज़िन्दगी एक फेसबुक है" या "फेसबुक एक प्रोडक्टिव काम है" जैसे नए दर्शन और सुखी जीवन के सूत्रों की जगह जगह बात करने वाली ये किताब रिश्तों को एक अलग मतलब देती है।

ढेर सारी बातें हैं कहने को रिश्ते नाम की इस किताब और उसके लिखनेवाले के लिए मगर आज समय की दिक्कत और कुछ अलग समस्याएं हैं जो ज़्यादा लिखने की फिलहाल इजाज़त नही दे रहे। कम शब्दों में इतना ही कहूँगा कम से कम एक बार ज़रूर पढ़ें इस किताब को, ज़िन्दगी की कुछ नयी परिभाषाओं को जानने के लिए और आज ही अमेजॉन.कॉम पर जाकर आर्डर करें और अगर यकीं ना हो मेरी बात पर तो संजय सिन्हा जी की वाल पर मन भर कर पोस्ट पढ़ें।
वैसे शाहरुख़ खान ने भी लिख कर दिया है कि किताब ज़रूर पढ़नी चाहिए

https://m.facebook.com/sanjayzee.sinha

©अनिमेष


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