बुधवार, 16 जुलाई 2014

हास्य की इति अर्थात इतिहास

कारण तो मुझे ठीक ठीक नही पता पर सामान्य रूप से एक धारणा है जिसमें हमारे राजाओं को बड़ा रोमांटिक और बहादुर टाइप दिखाया जाता है।


पृथिवी राज और संयोगिता की कथा से लेकर मुग़ल खानदान, राजपूतों और नवाबों के किस्सों को ऐसे पेश किया जाता है जैसे


अकबर ने बचपन में ही कभी खुशी कभी गम 101 बार देख रक्खी हो ।

या शालीमार बाग़ नूरजहाँ - जहाँगीर का जोगर्स पार्क हो

शाहजहाँ मुमताज़ तो शाहरुख़ और काजोल से कम नही बताये जाते

किसी भी मुस्लिम बादशाह के आने की खबर से ही हर राजपूत औरत जौहर कर लेती हो

वगैरह वगैरह.......


मगर इन प्रेम कहानियों के इतिहास में कुछ हास्य की इति भी हुई है
जो शायद आपने न सुना हो आज तक

सोचिये क्यों मुमताज़, जीनत, हज़रत सब के नाम में महल शब्द लगा है।

क्या कुछ राजाओं के 500 बीवियां थीं

मुहम्मद शाह कितना रंगीला था

संयोगिता और पृथ्वीराज की प्रेम कहानी......

और आखिर ये सब है कितना पुराना

और भी बहुत कुछ जो कई जगहों से इकठ्ठा होगया
एक प्रयास है
इन सब को कुछ किस्सों की शकल में आप तक पहुँचाने का

अगर आप पढ़ते रहेंगे तो श्रंखला चलती रहेगी......

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