शुक्रवार, 20 जून 2014

हिंदी, मोदी तथा अन्याभाषाएं

हिंदी और उससे जुड़े विवाद के बारे में कुछ बोलने की दो कारणों से इच्छा नही थी

पहला तो यह कि यह सिर्फ सरकारी कार्यालयों से जुड़ा आदेश है।

दूसरा मै जयललिता जी के दुराग्रह का काफी हद तक समर्थन और सम्मान करता हूँ।

हमारे देश में ये विवाद सिर्फ हिंदी का नही है अपितु इसकी जड़ें इस से कहीं गहरी हैं।


असल में हमारी सोच भाषा को सामाजिक स्तर के साथ जोड़ कर देखने की हो चुकी है।
oh my God Hindi ! कहने वाले अंग्रेजी वाले साब जैसा हिंदी के लिए सोचते हैं
वही भाव हिंदी की महिमागाथा कहने वाले हिंदी की ही बोलियों के लिए रखते हैं।

आमतौर पर किसी भी भाषा में आपकी जानकारी का स्तर आपकी योग्यता को बता सकता है
मगर हमारे यहाँ ये भाषा के नाम पर तय होता है।

अगर आप अंग्रेजी में एडल्ट फिक्शन भी लिखें तो wow ! कह कर आप का नंबर माँगा जाए
वहीँ हिंदी में कविता लिखने की बात बताने पर आप को शायद oh कह के छोड़ दिया जाए।

मुझे अंग्रेजी में पढ़ना लिखना बोलना आता है तो ये मेरी मजबूरी ज्यादा है शौक कम।
मैंने अपने दोस्तों को मिट्टी का oil या जूस वाली सब्जी कहते देखा है।
ऐसे लोगों से ज्यादा आत्मसम्मान विहीन जीव शायद ही किसी प्रजाति में पाए जाते हों।
हिंदी के लिए काम मोदी कर रहे हैं उनकी पहली भाषा भी हिंदी नही गुजराती है मगर दिक्कत हिंदी के लोगों को है।

मगर एक सवाल और भी है आखिर हिंदी ही क्यों?

दरअसल हिंदी से ज्यादा लचीली भाषा कोई और हो ही नहीं सकती।
'नार्वसाना मत' जैसे शब्दों से लेकर वडक्कम भी इसमें आ सकता है ।

और एक बात है की आज हिंदी के साथ जो हुआ है कल वही हाल दूसरी भाषा के साथ होगा।

हिंदी अपने आप को तोड़मरोड़ कर जैसे भी बनी हुई है बाकी भाषाएं और जल्दी ख़त्म होंगी।

इन भाषाओँ में हम विज्ञान, समाजशास्त्र अर्थशास्त्र पढ़ाते नही हैं और जब संपर्क की भाषा भी अंग्रेजी होगी तो और किसी चीज़ में भी इन भाषाओँ की ज़रुरत नहीं होगी।

और भारत जैसे देश के लिए भाषा संपर्क माध्यम से कहीं ज्यादा है

हम तुलसी को पढ़कर राम को जाने या कंब को पढ़ कर।

कृष्ण के लिए सूर को गाएँ या जयदेव के गीत गोविन्द को
मगर हर एक को विशेष कर हिंदी पट्टी के वर्ल्ड फेमस लोगों को अपनी भाषा और दूसरी भाषा को सम्मान देना सीखना चाहिए।
नही तो कुछ समय बाद इंडियन कल्चर में पाठ में हमारे स्कूल पढ़ा रहे होंगे
Krishna was boyfriend of radha

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